1919-21 के मध्य उन्होंने गंजम जिले में वकालत की। 1921 में उन्होनें कांग्रेस में प्रवेश किया। 1920 में उन्होंने मद्रास प्रेसीडेन्सी में किसान संघ की स्थापना की। 1920-29 तक वे मद्रास कौन्सिल के सदस्य रहे। 1929 में उन्होंने नमक आन्दोलन के दौरान अपनी सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान वे कई बार जेल गये। 1936 में वे उड़ीसा के विधानसभा के सदस्य निर्वाचित हुए। 1937-39 तक वे उड़ीसा के मुख्यमंत्री रहे। युद्ध के मुद्दे पर उन्होंने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया। 1947-51 तक वे संविधान सभा के सदस्य रहे। अनेक वर्षो तक वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सदस्य रहे। वे तीन बार उत्कल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष निर्वाचित हुए। 1962 में उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया और वे इस पद पर 1967 तक रहे।
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