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राज्यपाल सचिवालय, राजभवन लखनऊ उत्तर प्रदेश, भारत की आधिकारिक वेबसाइट। / राजभवन की एक झलक

 

राजभवन की एक झलक

राजभवन के बारे में

लखनऊ में स्थापित राजभवन का शाही भवन भारतीय-यूरोपीय कला का एक बेहतरीन उदाहरण है। इस ऐतिहासिक भवन को पूर्व में कोठी हयात बक्श के नाम से भी जाना जाता था, जिसका शाब्दिक अर्थ ‘जीवन के उपहार का निवास’ है। इसे नवाबों द्वारा बतौर हेल्थ रिसॉर्ट के रूप में प्रयोग किया जाता था।

जब भवन को संयुक्त प्रांत के तत्कालीन राज्यपाल के कार्यकाल के दौरान राज्यपाल के आधिकारिक निवास के रूप में घोषित किया गया, तब यह ‘राज्यपाल आवास (गवर्नर हाउस)’ के रूप में विदित हुआ, जिसे अब उत्तर प्रदेश के संवैधानिक प्रमुख के आवास, राजभवन के रूप में जाना जाता है। राजभवन के हरे भरे लॉन एवं इसकी राजसी सफेद इमारत इसकी की भव्यता को बढ़ाती है।

मुख्य भवन

मुख्य भवन

राजभवन का मुख्य भवन सफेद रंग का है तथा दो मंजिला है। इस भवन का निर्माण लगभग 2.5 एकड़ भूमि पर किया गया है, जो हरे-भरे बगीचों (लॉन) से घिरा हुआ है। भवन के आगे के भाग में बरामदा है। राजभवन का राजसी मुख्य-भवन विस्मयकारी है तथा इसमे 12 कार्यालय कक्ष स्थापित हैं एवं उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का आवासीय क्वार्टर भी इसी में स्थित है।

राज्यपाल का निजी आवास प्रथम तल पर स्थित है जिसमें पांच बेडरूम, एक कार्यालय, एक पूजा का कमरा, एक अध्ययन कक्ष, एक बैठक कक्ष एवं एक भोजन कक्ष स्थित हैं। यहां के सभी कक्ष काफी विशाल हैं तथा इनमे लकड़ी के दरवाज़े व खिड़कियां लगी हुई हैं।

राजभवन के मुख्य भवन में 10 अतिथि कक्ष भी हैं, जिनमें गणमान्य व्यक्तियों तथा अति विशिष्ट वयक्तियों जैसे राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री आदि के ठहरने की व्यवस्था है। सभी आगंतुक कक्ष आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं। इस भवन में कुल 14 प्रवेश द्वार हैं, जिसमे गेट नंबर 02 को मुख्य रूप से प्रवेश के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

आगंतुक कक्ष

राजभवन के मुख्य भवन में दो आगंतुक कक्ष स्थित हैं। इनमें से एक जन कक्ष तथा दूसरा नील कुसुम है।

जन कक्ष

जो व्यक्ति राज्यपाल से मुलाकात करने के उद्देश्य से यहां आते हैं वे जन कक्ष में प्रतीक्षा करते हैं। पूर्व में यह कोठी हयात बक्श का ही भाग था। इस कक्ष में दो संगमरमर की चिमनियां हैं, जिनमे पुष्प तथा ज्यामितिक आकृतियां बनी हैं। यह कक्ष आलिशान सोफ़ों से सुसज्जित है।

आगंतुक कक्ष-जन कक्ष
आगंतुक कक्ष-नील कुसुम

नील कुसुम

नील कुसुम, राज्यपाल से मुलाकात करने के उद्देश्य से यहां आने वाले आगंतुकों के लिए प्रतीक्षा कक्ष के रूप में स्थापित है। साथ ही राज्यपाल इस कक्ष में विभिन्न प्रतिनिधिमंडलों तथा छोटे समूहों में आए आगंतुकों से भी मिलते हैं। यह कक्ष आधुनिक सुविधाओं से लैस है तथा राज्यपाल कभी-कभी इसे अपने कॉंफ्रेंस रूम के रूप में भी प्रयोग करते हैं। कक्ष की सभी दीवारों पर भारत के पूर्व राष्ट्रीय नेताओं की फोटो लगी हुई है जैसे महात्मा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू आदि। इसके अतिरिक्त भारत के ऐसे प्रधानमंत्री जो उत्तर प्रदेश से चुने गए हैं उनकी फोटो भी इस कक्ष की दीवारों पर लगी है जैसे इन्दिरा गांधी, चौधरी चरण सिंह, नरेंद्र मोदी एवं अन्य।

गांधी सभागार

राजभवन के मुख्य भवन में ‘गांधी सभागार’ ऑडिटोरियम स्थित है। ब्रिटिश शासनकाल के दौरान इसे बॉल रूम के रूप में प्रयोग किया जाता था। बाद में इसे दरबार हॉल के नाम से जाना जाने लगा।। इस सभागार में फ्लोरिंग लकड़ी द्वारा निर्मित की गई है, जिसमें स्प्रिंग भी लगे हुए हैं, जिसके कारण इस कक्ष की फ्लोरिंग उछालदार है। स्वतंत्रता के पश्चात इसे एक ऑडिटोरियम के रूप में परिवर्तित कर दिया गया, जिसमे एक स्टेज भी स्थित है, जहाँ राज्यपाल का शपथ ग्रहण समारोह, संगोष्ठी, सांस्कृतिक कार्यक्रम आदि जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

इस हॉल के चारों ओर कॉरिडोर बना हुआ है, जिसपर संयुक्त प्रांत (स्वतंत्रता के पूर्व) तथा उत्तर प्रदेश (स्वतंत्रता के पश्चात) के पूर्व राज्यपालों की तस्वीरें सुसज्जित हैं। सभागार की दीवारों तथा छतों पर करी गई नक्काशियां अद्भुत प्राचीन कला को दर्शाती हैं।

गांधी सभागार
अन्नपूर्णा हॉल

अन्नपूर्णा हॉल

अन्नपूर्णा एक बैंक्वेट हॉल है जो राजभवन के प्रमुख भवन में स्थित है। इस हॉल का नाम ‘देवी अन्नपूर्णा’ के नाम पर रखा गया है। देवी अन्नपूर्णा को ‘अन्न की देवी’ कहा जाता है। इस हॉल की ऊंचाई लगभग दो मंजिल के बराबर है तथा इसकी छत गुंबददार है एवं मेहराबदार प्लास्टर तथा लकड़ी से इस हॉल की नक्काशी करी गई है।

इसकी छत पर रोशनी के दृष्टिकोण से रोशनदान भी सुसज्जित हैं, जिससे दिन के समय यहां पर पर्याप्त रोशनी रहती है। साथ ही रात में रोशनी के लिए यहां पर झूमर की भी व्यवस्था की गई है। हॉल के दोनों छोर की दीवारों पर दो उत्तल दर्पण मौजूद हैं, जिसके माध्यम से हॉल का संपूर्ण दृश्य उस दर्पण में दिखाई देता है।

हॉल की दीवारों पर समकालीन चित्रकला तथा भारत के विभिन्न राज्यों के प्रतीक चिन्ह भी मौजूद हैं, जो इस हॉल की भव्यता को बढ़ाते हैं। मुख्य रूप से यह हॉल राज्यपाल द्वारा आधिकारिक बैंक्वेट का आयोजन करने हेतु इस्तेमाल किया जाता है।

कला कक्ष - संग्रहालय

राजभवन के मुख्य भवन में कला कक्ष एक छोटे संग्रहालय के रूप में स्थित है। यहां पर विभिन्न प्रकार की कलाकृतियां देखने को मिलती हैं जिसमें कुषाण काल की तथा ईसापूर्व काल की कलाकृतियां भी शामिल हैं। यह राजभवन आने वाले आगंतुकों के लिए प्रमुख आकर्षण का केंद्र है।

इसी कला कक्ष में एक गांधी दर्शन दीर्घा भी स्थित है, जिसमे महात्मा गांधी की श्वेत-श्याम तस्वीरों का अद्भुत संग्रह देखने को मिलता है।

कला कक्ष - संग्रहालय
पुस्तकालय

पुस्तकालय

स्वतंत्रता के पश्चात उत्तर प्रदेश की प्रथम राज्यपाल, श्रीमति सरोजनी नायडू को पुस्तकों तथा उनके संग्रहण में गहन रुचि थी, जिसके कारण उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान राजभवन में आधिकारिक रूप से एक पुस्तकालय की स्थापना करवाई। प्रथमतः, यह पुस्तकालय राजभवन के मुख्य भवन में ही स्थापित था जिसे बाद में सन् 2008 में तत्कालीन राज्यपाल, श्री टी.वी. राजेश्वर के कार्यकाल के दौरान नवीन भवन में स्थानांतरित कर दिया गया, जिसे मुख्य रूप से पुस्तकालय के उद्देश्य से ही निर्मित कराया गया था।

वर्तमान में, राजभवन पुस्तकालय में लगभग 9925 पुस्तकें उपलब्ध हैं जो विभिन्न भाषाओं जैसे हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, संस्कृत आदि में लिखि गई हैं। पुस्तकालय में कुछ दुर्लभ पुस्तकें भी मौजूद हैं जैसे इम्पीरियल गेज़ेटर, डिस्ट्रिक्ट गेज़ेटर, डिक्शनरी ऑफ नेशनल बॉयोग्राफी, 1909, डॉ. रिचर्ड गर्नलेट द्वारा लिखित इंटरनेशनल लाइब्रेरी ऑफ फेमेस लिट्रेचर (स्वर्ण मुद्रित), शब्द-वेदः आदि।

पुस्तकालय में महात्मा गांधी से संबंधित, कानून संबंधी, स्वास्थ संबंधी, लोक सभा तथा राज्य सभा बहस (तिथि-वार), अध्यात्मवाद, कॉफी टेबल बुक एवं आदि पुस्तकों के संग्रह हेतु अलग खंड निर्धारित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त राज्यपाल श्री राम नाईक द्वारा लिखित संस्मरण “चरैवेति! चरैवेति!” भी इस पुस्तकालय में मौजूद है।

लॉन

राजभवन में चार हरे-भरे लॉन स्थित हैं। इन लॉन में निर्मित संगमरमर की मूर्तियां, अद्भुत फव्वारे एवं मौसमी फूलों का सुंदर संग्रह यहां के लॉन की सुन्दरता एवं भव्यता को बढ़ा देता है।
यू0पी0 एम्ब्लम फाउंटेन लॉन : राजभवन की सफेद इमारत (मुख्य भवन) के सामने की ओर एक लॉन स्थित है, जिसके एक छोर पर प्राचीन बारादरी निर्मित है। लॉन के दूसरे छोर पर एक फव्वारा स्थित है, जो उत्तर प्रदेश सरकार के प्रतीक चिन्ह (लोगो) के आकार का बना हुआ है।
स्मॉल फाउंटेन युक्त लॉन: यह लॉन थोड़े छोटे आकार का है, जो मुख्य भवन के पीछे की ओर बना हुआ है। इस लॉन में एक फव्वारा स्थित है जिसमें संगमरमर की एक प्रतिमा स्थापित है।
गुलाब वाटिका: यह लॉन राजभवन में स्थित गांधी सभागार के पीछे स्थित है, जिसे गुलाब वाटिका (रोज़ गार्डन) के नाम से जाना जाता है। इस लॉन की प्रमुखता यह है कि यहां पर विभिन्न प्रकार के गुलाब के फूल उगाए जाते हैं तथा उनका रखरखाव किया जाता है।
महात्मा गांधी की प्रतिमा युक्त लॉन: यह लॉन मुख्य भवन की पश्चिम दिशा में स्थित है, जिसके मध्य में महात्मा गांधी की एक प्रतिमा स्थापित करी गई है तथा साथ ही इस लॉन में एक वॉकिंग ट्रैक भी बनाया गया है। वार्षिक फल, सब्जी तथा फूलों की प्रदर्शनी का आयोजन तथा राष्ट्रीय पर्व जैसे स्वतंत्रता दिवस तथा गणतंत्र दिवस का आयोजन इसी लॉन में किया जाता है।

लॉन
धन्वन्तरि वाटिका – औषधीय एवं हर्बल उद्यान

धन्वन्तरि वाटिका – औषधीय एवं हर्बल उद्यान

राजभवन में धन्वन्तरि वाटिका की स्थापना 24 फरवरी, 2001 में उत्तर प्रदेश के राज्यपाल, श्री विष्णुकांत शास्त्री द्वारा करी गई थी। उस वक्त राज्यपाल ने स्वयं वाटिका में कुछ आयुर्वेदिक औषधीय पौधों का रोपण किया था। इस वाटिक का नाम भगवान धन्वन्तरि के नाम पर पड़ा था, जिन्हें अच्छे स्वास्थ्य तथा आयुर्वेद का देवता माना जाता है। राज्य में यह पहला आयुर्वेदिक औषधीय पौधों का गार्डन है तथा मॉडल फार्मास्युटिकल गार्डन के रूप में भी इसे जाना जाता है।
इस औषधीय गार्डन की स्थापना का प्रमुख उद्देश्य जन समूह के बीच औषधीय पौधों की जानकारी बढ़ाना था और यह तभी संभव था जब राज्य के विभिन्न स्थानों पर इस प्रकार के गार्डन की स्थापना करी जाए तथा जन सामान्य को ऐसे औषधीय पौधों के लिए जागरुक किया जाए तथा इसके महत्व से अवगत कराया जाए, जिससे हमें हमारे पूर्वजों की बहुमूल्य विरासत का लाभ प्राप्त हो सके।
इस गार्डन में वर्तमान समय में 200 से अधिक पौधों की प्रजाति मौजूद है जिसमे रुद्राक्ष, कल्पवृक्ष, सिन्दूरी, कृष्णवट, सीता अशोक, हरद, भल्लाटक, कुपीलू, विजयसार, कुटज, चंदन (सफेद व लाल) लता पलाश, श्योनाक, गंभारी, हरजोड़, गुडमर, वरहीकंड, कचोर, शखोटक, वरुण, पुत्रजीव, वजृदन्ति, मिश्वाक, सर्पगंधा, परिभद्र, पारस पीपल, खदीर, गुग्गलु एवं अन्य प्रकार के औषधीय पौधें शामिल हैं। साथ ही, वाटिका में अन्य प्रकार के पौधे भी मौजूद हैं जिनमे बहेदा, आंवला, शिकाकाई, महानिम्ब, निर्गुणि, मौलश्री, वसा, विधारा, कालमेघ, अन्तमूल, गुंजा, नारियल, सुपारी, गिलोई, घृतकुमारी, शातावरी, अश्वगंधा, तुलसी एवं हल्दी शामिल हैं।

राजभवन में वार्षिक क्षेत्रीय सब्जी तथा फूल प्रदर्शनी में धन्वन्तरि वाटिका में उगाए गए पौधे तथा पेड़ों की प्रदर्शनी भी लगाई जाती है। इसके अतिरिक्त राज्यपाल की इच्छानुसार धन्वन्तरि वाटिका को जन सामान्य के लिए फरवरी माह में 10-15 दिन के लिए खोला जाता है। धन्वन्तरि वाटिका की स्थापना के लक्ष्य को प्राप्त करने के उद्देश्य से ‘आयुर्वेद और हमारा स्वास्थ्य’, ‘औषधि पौधे और स्वास्थ्य’ तथा ‘शतायु की ओर’ के 16 पत्रक प्रकाशित किये गये हैं, जिसमें आयुर्वेद को अपनाकर स्वस्थ्य रहने के उपायों का वर्णन किया गया है। साथ ही मधुमेह (diabetes mellitus), आमवात (arthritis), अर्श (piles), पीलिया (jaundice), अम्लपित्त (hyper acidity), मानसिक स्वास्थ्य (mental health), अग्निमांद्य, अजीर्ण एवं विबंध (digestive insufficiency, indigestion and constipation), अतिस्थूलता (obesity) आदि रोगों के कारण, बचाव एवं चिकित्सा का वर्णन अलग-अलग पत्रकों में किया गया है तथा इन रोगों में लाभकारी औषधीय पौधों की जानकारी भी दी गयी है। वहीं ‘शतायु की ओर’ के 17वें अंक को पुस्तिका के रूप में प्रकाशित किया गया है जिसमे ‘शिशु स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं आयुर्वेद’ विषय पर प्रकाश डाला गया है।

धन्वन्तरि वाटिका, राजभवन द्वारा प्रकाशित पत्रक को डाउनलोड करने हेतु यहां क्लिक करें।

राजभवन उद्यान

राजभवन उद्यान

48 एकड़ में स्थापित राजभवन की लगभग 10 एकड़ भूमि बगीचों तथा विभिन्न प्रकार के फलों, पौधों, पेड़ों, औषधीय/सजावटी पेड़ों तथा पौधों, सब्जियों, फूलों के उत्पादन तथा उनके रखरखाव हेतु प्रयोग की जाती है। इनका उत्पादन तथा रखरखाव विभिन्न नवीन एवं पर्यावरण हितैषि तकनीकों का प्रयोग कर किया जाता है। इन तकनीकों का विवरण निम्न प्रकार है:-

लघु सिंचाई प्रणाली

पर ड्रॉप, मोर क्रॉप के सिद्धांत पर राजभवन में सिंचाई की ड्रिप स्प्रिंकलर (सूक्ष्म/लघु/बड़े रेनगन) प्रणाली को स्थापित किया गया है। इस प्रणाली का प्रमुख उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि यह उचित समय पर पौधों को पर्याप्त मात्रा में पानी प्रदान किया जाए तथा साथ ही पानी का विवेकापूर्ण रूप से प्रयोग किया जाए। यह प्रणाली प्रतिदिन, पानी की कुल खपत में न केवल 30-40 प्रतिशत की बचत करती है बल्कि लीचिंग के माध्यम से होने वाली पोषण हानी को भी रोकती है।

मचान प्रणाली

यदि सब्जियां ज़मीन पर उग जाए, तो सब्जी मृदा के संपर्क में आ जाती है तथा अक्सर खराब हो जाती हैं तथा मृदा से उत्पन्न होने वाली बीमारियों से उत्पादन की गुणवत्ता भी गिर जाती है। ऐसी समस्याओं का निवारण करने हेतु मचान प्रणाली का प्रयोग किया जाता है। इससे सब्जियों की 25-30 प्रतिशत उपज भी बढ़ जाती है तथा सब्जी उत्पादन की बहु-स्तरीय प्रणाली को भी बढ़ावा मिलता है। मचान प्रणाली को राजभवन के किचन गार्डन की 1.5 एकड़ भूमि पर स्थापित किया गया है, जिसपर विभिन्न बेल सब्जियों का उत्पादन किया जाता है।

मल्चिंग

आमतौर पर बागवानी पौधों के साथ-साथ खरपतवार भी उग जाते हैं जो न केवल नकारात्मक रूप से सब्जी की फसलों को प्रभावित करते हैं, बल्कि मृदा के आवश्यक खनिजों को भी नष्ट कर देते हैं, जिससे सब्जियों के उत्पादन पर कुप्रभाव पड़ता है। इस समस्या का निवारण करने हेतु 30-माइक्रॉन अल्ट्रावायलेट स्टेबलाइज्ड पॉलीथीन को राजभवन के गृह वाटिका में प्रयोग में लाया गया है। मल्चिंग न केवल खरपतवार की उपज पर रोक लगता है बल्कि जड़ तन्त्र तथा जड़ क्षेत्र को उचित परिस्थिति में भी रखता है।

जैविक विधि से कीट-व्याधि का नियंत्रण

राजभवन की गृह वाटिका में कीट एवं व्याधियों को नियंत्रित करने हेतु जैविक परजीवनाशी का प्रयोग किया जाता है। इसके साथ-साथ एल.ई.डी. लाइट ट्रैप एवं यलोशीट का इस्तेमाल विभिन्न कीटों के नियंत्रण में किया जाता है।

जैविक अपशिष्ट परिवर्तक

राजभवन में एक जैविक अपशिष्ट परिवर्तक स्थापित किया गया है जो उद्यान के कचरे जैसे पत्तियां, सूखी पत्तियां आदि एवं किचन अपशिष्ट को विघटित करता है एवं प्रतिदिन लगभग 2 क्विंटल जैविक खाद का उत्पादन करता है जिसके परिणामस्वरूप राजभवन उद्यान हेतु खाद की पूर्ति होती है।

वर्मी कम्पोस्ट इकाई

राजभवन में वर्मी क्मपोस्ट इकाई की स्थापना करी गई है जो प्रति वर्ष राजभवन के डेयरी की गायों के गोबर से लगभग 300 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन करती है, जिसके लिए रेड वॉर्म (Eisenia fetida) का प्रयोग किया जाता है। इस वर्मी कम्पोस्ट का प्रयोग राजभवन उद्यान में किया जाता है। यह वर्मी कम्पोस्ट विभिन्न पोषक तत्वों की आपूर्ति कर उत्पादन की मात्रा को बढ़ा देता है तथा मृदा की जल धारण क्षमता का वर्धन करता है।

राजभवन उद्यान में विभिन्न प्रकार की सब्जियों/फलों का उत्पादन किया जाता है जिनमें आलू, टमाटर. लहसुन, शिमला मिर्च, पालक, कद्दू, ब्रोकोली (एक प्रकार की गोभी), धनिया, बैंगन, गोभी, गाजर, स्ट्रॉबेरी, लौकी एवं अन्य शामिल हैं। राजभवन में मौसमी सब्जियों, फलों का उत्पादन तथा फूलों का रोपण किया जाता है।

राजभवन गौशाला

राजभवन के परिसर में एक गौशाला स्थित है, जहां पर कुल 37 पशुओं का पालन-पोषण किया जाता है। इन पशुओं में 16 गाय, 20 बछड़े (16 मादा तथा 04 नर) तथा 01 सांड शामिल हैं। वर्तमान में, सभी गाय साहीवाल नस्ल की हैं जिसका दूध वैज्ञानिक रूप से विटामिन ए से भरपूर पाया गया है। तथा इनका दूध विभिन्न रोगों जैसे अनियमित कोलेस्ट्रॉल, डॉयबिटीज़, हृदय रोग आदि में लाभकारी भी माना जाता है। राजभवन गौशाला की सभी गाय प्रतिदिन लगभग 80-90 लीटर उच्च स्तरीय दूध का उत्पादन करती हैं।

राजभवन गौशाला
राज्यपाल सचिवालय

राज्यपाल सचिवालय

राज्यपाल सचिवालय, राजभवन के परिसर में ही स्थित है। इसकी अध्यक्षता राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव की रैंक के अधिकारी द्वारा की जाती है। लगभग 100 अधिकारियों एवं कर्मचारियों को राज्यपाल सचिवालय में नियुक्त किया गया है, जो राज्यपाल के सचिवालय से संबंधित कार्यों का निष्पादन करते हैं तथा राज्यपाल को बतौर उत्तर प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में उनके कार्यों तथा कर्तव्यों को निर्वहन करने में सहयोग प्रदान करते हैं।