1924 में उन्होंने हैदराबाद में वकालत शुरू की। वे हैदराबाद सामाजिक सम्मेलन के सचिव रहे तथा हैदराबाद सुधार समिति एवं हैदराबाद राजनैतिक सम्मेलन के सदस्य रहे। 1938 में उन्हें राज्य कांग्रेस का कार्यकारिणी सदस्य बनाया गया। 1937 में वे पीपल्स कन्वेंशन के सचिव निर्वाचित हुए। वे तीन वर्षो तक आंध्र प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रहे। उन्होनें 'भारत छोड़ो आन्दोलन' में सक्रिय भाग लिया और कई बार जेल गये। आंध्र प्रदेश सरकार में वे 1950-52 तक राजस्व एवं शिक्षामंत्री रहे। 1952-56 तक वे हैदराबाद राज्य के मुख्यमंत्री रहे। 1956 में उन्हें केरल का राज्यपाल नियुक्त किया गया और वे इस पद पर 1960 तक रहे। 1960 में उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया और वे इस पद पर 1962 तक रहे।
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