अनुभव |
वह आंध्र युवाजन समिति तथा स्टूडेंट कांग्रेस के संस्थापक थे | वह अनेकों छात्र, युवा, सामाजिक, शैक्षिक, साक्षरता एवं सांस्कृतिक संगठनों से जुड़े हुए थे| उन्होनें एक साप्ताहिक पत्र का लगभग दो वर्षों तक सम्पादन किया व अनेकों दैनिक पत्र पत्रिकाओं में अपने लेखों द्वारा योगदान दिया| उन्होनें पूर्ववर्ती हैदराबाद राज्य में राजनीतिक संघर्षों में सक्रिय भूमिका निभाई तथा 1942 में वे आंध्र महासभा के महासचिव भी रहे (जो राज्य कांग्रेस का अग्रगामी था)| 1946 में, राज्य कांग्रेस की स्थायी समिति के सदस्य व हैदराबाद ज़िला कांग्रेस के महासचिव रहे| वह कांग्रेस के एक वैचारिक ग्रुप एम.पी. ग्रुप के संस्थापकों में से एक थे तथा उसके महासचिव भी रहे| वह कई वर्षों तक आंध्र प्रोविन्शियल कांग्रेस कमेटी के महासचिव तथा पी.सी.सी. की कार्यकारिणी समिति के 30 वर्षों तक सदस्य रहे| 1950 में, डा॰ रेड्डी अनंतिम संसद हेतु नामित हुए व कांग्रेस संसदीय दल के सचेतक नियुक्त हुए| वह प्रथम आम चुनाव में हैदराबाद विधान परिषद के चुने हुए सदस्य तथा 1952-56 तक हैदराबाद राज्य में कृषि व खाद्य मंत्री, योजना व पुनर्वास मंत्री रहे| 1953 में एफ.ए.ओ. के तत्वावधान में मंत्री के तौर पर उन्होंने रोम में कृषकों की विश्व कान्फ्रेंस में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया, इसके बाद 1955 में उपनेता के तौर पर उन्होंने रोम में हुई एफ.ए.ओ. कान्फ्रेंस में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया | वह आंध्र प्रदेश की विकाराबाद विधानसभा सीट से दोबारा चुने गए| 1957-62 के दौरान, वह राज्य विधान सभा में जन लेखा समिति के सदस्य, इस्टीमेट कमेटी तथा आंध्र प्रदेश क्षेत्रीय (तेलंगाना) विकास समिति के दो बार अध्यक्ष रहे| 1962 में वह तंदूर विधानसभा से पुनः निर्वाचित किए गए तथा योजना व पंचायतीराज मंत्री नियुक्त किए गए, तथा बाद में वित्त, वाणिज्यिक कर तथा उद्योग मंत्री भी रहे| 1967 में वे पुनः विधान सभा में लौटे तथा वित्त मंत्री, शिक्षा व वाणिज्यिक कर मंत्री रहे| केंद्रीय मंत्रिमंडल में (1967) इस्पात, खान व धातु मंत्री नियुक्त किए जाने के कारण उन्होंने राज्य मंत्रिमंडल से त्यागपत्र दे दिया | इसी क्रम में वह अप्रैल 1967 में राज्य सभा के लिए निर्वाचित हुए | इस्पात व खनन मंत्री के तौर पर, उन्होंने उत्पादन बढ़ाने हेतु बहुत से सुधार लागू किए तथा इस्पात व कोयले के वितरण पर विनियंत्रण हेतु बहुमूल्य सुझाव रखे| ब्रिटिश सरकार के आमंत्रण पर वह इस्पात उद्योग व अन्य संबन्धित मामलों पर चर्चा हेतु इंग्लैंड गए | उन्होंने अप्रैल 1968 में केन्द्रीय कैबिनेट से त्यागपत्र दे दिया | डा॰ रेड्डी ने बहुत से जन आंदोलनों में सक्रिय भाग लिया, कांग्रेस संगठन के विभाजन व अलग तेलंगाना राज्य आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई| अलग तेलंगाना राज्य आंदोलन के अगुआ के रूप में उन्होंने इस विवाद को सुलझाने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया व 1971 में छह सूत्रीय फ़ार्मूला दिया जिसे बाद में "तेलंगाना हेतु नई पहल" के तौर पर कांग्रेस के घोषणापत्र में 1972 के आंध्र प्रदेश विधान सभा चुनावों में भी सम्मिलित किया गया |
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विदेश यात्राएं |
रोम, स्विट्जरलैंड, फ्रांस, डेनमार्क, बेलजियम, यूनाइटेड किंगडम, पाकिस्तान, पश्चिमी जर्मनी, मिस्र, चेकोस्लोवाकिया, हंगरी, यूगोस्लाविया, रोमानिया तथा सोवियत रूस
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